the Week of Proper 24 / Ordinary 29
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पवित्र बाइबिल
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1 जो परमप्रधान के छाए हुए स्थान में बैठा रहे, वह सर्वशक्तिमान की छाया में ठिकाना पाएगा।2 मैं यहोवा के विषय कहूंगा, कि वह मेरा शरणस्थान और गढ़ है; वह मेरा परमेश्वर है, मैं उस पर भरोसा रखूंगा।3 वह तो तुझे बहेलिये के जाल से, और महामारी से बचाएगा;4 वह तुझे अपने पंखों की आड़ में ले लेगा, और तू उसके पैरों के नीचे शरण पाएगा; उसकी सच्चाई तेरे लिये ढाल और झिलम ठहरेगी।5 तू न रात के भय से डरेगा, और न उस तीर से जो दिन को उड़ता है,6 न उस मरी से जो अन्धेरे में फैलती है, और न उस महारोग से जो दिन दुपहरी में उजाड़ता है॥7 तेरे निकट हजार, और तेरी दाहिनी ओर दस हजार गिरेंगे; परन्तु वह तेरे पास न आएगा।8 परन्तु तू अपनी आंखों की दृष्टि करेगा और दुष्टों के अन्त को देखेगा॥
9 हे यहोवा, तू मेरा शरण स्थान ठहरा है। तू ने जो परमप्रधान को अपना धाम मान लिया है,10 इसलिये कोई विपत्ति तुझ पर न पड़ेगी, न कोई दु:ख तेरे डेरे के निकट आएगा॥11 क्योंकि वह अपने दूतों को तेरे निमित्त आज्ञा देगा, कि जहां कहीं तू जाए वे तेरी रक्षा करें।12 वे तुझ को हाथों हाथ उठा लेंगे, ऐसा न हो कि तेरे पांवों में पत्थर से ठेस लगे।13 तू सिंह और नाग को कुचलेगा, तू जवान सिंह और अजगर को लताड़ेगा।14 उसने जो मुझ से स्नेह किया है, इसलिये मैं उसको छुड़ाऊंगा; मैं उसको ऊंचे स्थान पर रखूंगा, क्योंकि उसने मेरे नाम को जान लिया है।15 जब वह मुझ को पुकारे, तब मैं उसकी सुनूंगा; संकट में मैं उसके संग रहूंगा, मैं उसको बचा कर उसकी महिमा बढ़ाऊंगा।16 मैं उसको दीर्घायु से तृप्त करूंगा, और अपने किए हुए उद्धार का दर्शन दिखाऊंगा॥