the Week of Proper 28 / Ordinary 33
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पवित्र बाइबिल
भजन संहिता 90
1 हे प्रभु, तू पीढ़ी से पीढ़ी तक हमारे लिये धाम बना है।2 इस से पहिले कि पहाड़ उत्पन्न हुए, वा तू ने पृथ्वी और जगत की रचना की, वरन अनादिकाल से अनन्तकाल तक तू ही ईश्वर है॥3 तू मनुष्य को लौटा कर चूर करता है, और कहता है, कि हे आदमियों, लौट आओ!4 क्योंकि हजार वर्ष तेरी दृष्टि में ऐसे हैं, जैसा कल का दिन जो बीत गया, वा रात का एक पहर॥5 तू मनुष्यों को धारा में बहा देता है; वे स्वप्न से ठहरते हैं, वे भोर को बढ़ने वाली घास के समान होते हैं।6 वह भोर को फूलती और बढ़ती है, और सांझ तक कट कर मुर्झा जाती है॥
7 क्योंकि हम तेरे क्रोध से नाश हुए हैं; और तेरी जलजलाहट से घबरा गए हैं।8 तू ने हमारे अधर्म के कामों से अपने सम्मुख, और हमारे छिपे हुए पापों को अपने मुख की ज्योति में रखा है॥9 क्योंकि हमारे सब दिन तेरे क्रोध में बीत जाते हैं, हम अपने वर्ष शब्द की नाईं बिताते हैं।10 हमारी आयु के वर्ष सत्तर तो होते हैं, और चाहे बल के कारण अस्सी वर्ष के भी हो जाएं, तौभी उनका घमण्ड केवल नष्ट और शोक ही शोक है; क्योंकि वह जल्दी कट जाती है, और हम जाते रहते हैं।11 तेरे क्रोध की शक्ति को और तेरे भय के योग्य तेरे रोष को कौन समझता है?
12 हम को अपने दिन गिनने की समझ दे कि हम बुद्धिमान हो जाएं॥13 हे यहोवा लौट आ! कब तक? और अपने दासों पर तरस खा!14 भोर को हमें अपनी करूणा से तृप्त कर, कि हम जीवन भर जयजयकार और आनन्द करते रहें।15 जितने दिन तू हमें दु:ख देता आया, और जितने वर्ष हम क्लेश भोगते आए हैं उतने ही वर्ष हम को आनन्द दे।16 तेरा काम तेरे दासों को, और तेरा प्रताप उनकी सन्तान पर प्रगट हो।17 और हमारे परमेश्वर यहोवा की मनोहरता हम पर प्रगट हो, तू हमारे हाथों का काम हमारे लिये दृढ़ कर, हमारे हाथों के काम को दृढ़ कर॥