the Week of Proper 21 / Ordinary 26
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पवित्र बाइबिल
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1 हे परमेश्वर, जब मैं तेरी दोहाई दूं, तब मेरी सुन; शत्रु के उपजाए हुए भय के समय मेरे प्राण की रक्षा कर।2 कुकर्मियों की गोष्ठी से, और अनर्थकारियों के हुल्लड़ से मेरी आड़ हो।3 उन्होंने अपनी जीभ को तलवार की नाईं तेज किया है, और अपने कड़वे वचनों के तीरों को चढ़ाया है;4 ताकि छिपकर खरे मनुष्य को मारें; वे निडर होकर उसको अचानक मारते भी हैं।5 वे बुरे काम करने को हियाव बान्धते हैं; वे फन्दे लगाने के विषय बातचीत करते हैं; और कहते हैं, कि हम को कौन देखेगा?6 वे कुटिलता की युक्ति निकालते हैं; और कहते हैं, कि हम ने पक्की युक्ति खोजकर निकाली है। क्योंकि मनुष्य का मन और हृदय अथाह हैं!
7 परन्तु परमेश्वर उन पर तीर चलाएगा; वे अचानक घायल हो जाएंगे।8 वे अपने ही वचनों के कारण ठोकर खाकर गिर पड़ेंगे; जितने उन पर दृष्टि करेंगे वे सब अपने अपने सिर हिलाएंगे9 तब सारे लोग डर जाएंगे; और परमेश्वर के कामों का बखान करेंगे, और उसके कार्यक्रम को भली भांति समझेंगे॥10 धर्मी तो यहोवा के कारण आनन्दित होकर उसका शरणागत होगा, और सब सीधे मन वाले बड़ाई करेंगे॥