the Week of Proper 28 / Ordinary 33
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पवित्र बाइबिल
भजन संहिता 17
1 हे यहोवा परमेश्वर सच्चाई के वचन सुन, मेरी पुकार की ओर ध्यान दे। मेरी प्रार्थना की ओर जो निष्कपट मुंह से निकलती है कान लगा।2 मेरे मुकद्दमे का निर्णय तेरे सम्मुख हो! तेरी आंखें न्याय पर लगी रहें!3 तू ने मेरे हृदय को जांचा है; तू ने रात को मेरी देखभाल की, तू ने मुझे परखा परन्तु कुछ भी खोटापन नहीं पाया; मैं ने ठान लिया है कि मेरे मुंह से अपराध की बात नहीं निकलेगी।4 मानवी कामों में मैं तेरे मुंह के वचन के द्वारा क्रूरों की सी चाल से अपने को बचाए रहा।5 मेरे पांव तेरे पथों में स्थिर रहे, फिसले नहीं॥6 हे ईश्वर, मैं ने तुझ से प्रार्थना की है, क्योंकि तू मुझे उत्तर देगा। अपना कान मेरी ओर लगाकर मेरी बिनती सुन ले।7 तू जो अपने दाहिने हाथ के द्वारा अपने शरणगतों को उनके विरोधियों से बचाता है, अपनी अद्भुत करूणा दिखा।
8 अपने आंखो की पुतली की नाईं सुरक्षित रख; अपने पंखों के तले मुझे छिपा रख,9 उन दुष्टों से जो मुझ पर अत्याचार करते हैं, मेरे प्राण के शत्रुओं से जो मुझे घेरे हुए हैं॥10 उन्होंने अपने हृदयों को कठोर किया है; उनके मुंह से घमंड की बातें निकलती हैं।11 उन्होंने पग पग पर हम को घेरा है; वे हम को भूमि पर पटक देने के लिये घात लगाए हुए हैं।12 वह उस सिंह की नाईं है जो अपने शिकार की लालसा करता है, और जवान सिंह की नाईं घात लगाने के स्थानों में बैठा रहता है॥13 उठ, हे यहोवा उसका सामना कर और उसे पटक दे! अपनी तलवार के बल से मेरे प्राण को दुष्ट से बचा ले।14 अपना हाथ बढ़ाकर हे यहोवा, मुझे मनुष्यों से बचा, अर्थात संसारी मनुष्यों से जिनका भाग इसी जीवन में है, और जिनका पेट तू अपने भण्डार से भरता है। वे बाल-बच्चों से सन्तुष्ट हैं; और शेष सम्पति अपने बच्चों के लिये छोड़ जाते हैं॥15 परन्तु मैं तो धर्मी होकर तेरे मुख का दर्शन करूंगा जब मैं जानूंगा तब तेरे स्वरूप से सन्तुष्ट हूंगा॥