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Monday, September 8th, 2025
the Week of Proper 18 / Ordinary 23
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पवित्र बाइबिल

भजन संहिता 111

1 याह की स्तुति करो। मैं सीधे लोगों की गोष्ठी में और मण्डली में भी सम्पूर्ण मन से यहोवा का धन्यवाद करूंगा।2 यहोवा के काम बड़े हैं, जितने उन से प्रसन्न रहते हैं, वे उन पर ध्यान लगाते हैं।3 उसके काम का वैभवमय और ऐश्वरर्यमय होते हैं, और उसका धर्म सदा तक बना रहेगा।4 उसने अपने आश्चर्यकर्मों का स्मरण कराया है; यहोवा अनुग्रहकारी और दयावन्त है।5 उसने अपने डरवैयों को आहार दिया है; वह अपनी वाचा को सदा तक स्मरण रखेगा।

6 उसने अपनी प्रजा को अन्यजातियों का भाग देने के लिये, अपने कामों का प्रताप दिखाया है।7 सच्चाई और न्याय उसके हाथों के काम हैं; उसके सब उपदेश विश्वासयोग्य हैं,8 वे सदा सर्वदा अटल रहेंगे, वे सच्चाई और सिधाई से किए हुए हैं।9 उसने अपनी प्रजा का उद्धार किया है; उसने अपनी वाचा को सदा के लिये ठहराया है। उसका नाम पवित्र और भय योग्य है।10 बुद्धि का मूल यहोवा का भय है; जितने उसकी आज्ञाओं को मानते हैं, उनकी बुद्धि अच्छी होती है। उसकी स्तुति सदा बनी रहेगी॥

 
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