Lectionary Calendar
Saturday, November 23rd, 2024
the Week of Proper 28 / Ordinary 33
Attention!
StudyLight.org has pledged to help build churches in Uganda. Help us with that pledge and support pastors in the heart of Africa.
Click here to join the effort!

Read the Bible

पवित्र बाइबिल

नीतिवचन 16

1 मन की युक्ति मनुष्य के वश में रहती है, परन्तु मुंह से कहना यहोवा की ओर से होता है।

2 मनुष्य का सारा चाल चलन अपनी दृष्टि में पवित्र ठहरता है, परन्तु यहोवा मन को तौलता है।

3 अपने कामों को यहोवा पर डाल दे, इस से तेरी कल्पनाएं सिद्ध होंगी।

4 यहोवा ने सब वस्तुएं विशेष उद्देश्य के लिये बनाईं हैं, वरन दुष्ट को भी विपत्ति भोगने के लिये बनाया है।

5 सब मन के घमण्डियों से यहोवा घृणा करता है करता है; मैं दृढ़ता से कहता हूं, ऐसे लोग निर्दोष न ठहरेंगे।

6 अधर्म का प्रायश्चित कृपा, और सच्चाई से होता है, और यहोवा के भय मानने के द्वारा मनुष्य बुराई करने से बच जाते हैं।

7 जब किसी का चाल चलन यहोवा को भावता है, तब वह उसके शत्रुओं का भी उस से मेल कराता है।

8 अन्याय के बड़े लाभ से, न्याय से थोड़ा ही प्राप्त करना उत्तम है।

9 मनुष्य मन में अपने मार्ग पर विचार करता है, परन्तु यहोवा ही उसके पैरों को स्थिर करता है।

10 राजा के मुंह से दैवी वाणी निकलती है, न्याय करने में उस से चूक नहीं होती।

11 सच्चा तराजू और पलड़े यहोवा की ओर से होते हैं, थैली में जितने बटखरे हैं, सब उसी के बनवाए हुए हैं।

12 दुष्टता करना राजाओं के लिये घृणित काम है, क्योंकि उनकी गद्दी धर्म ही से स्थिर रहती है।

13 धर्म की बात बोलने वालों से राजा प्रसन्न होता है, और जो सीधी बातें बोलता है, उस से वह प्रेम रखता है।

14 राजा का क्रोध मृत्यु के दूत के समान है, परन्तु बुद्धिमान मनुष्य उस को ठण्डा करता है।15 राजा के मुख की चमक में जीवन रहता है, और उसकी प्रसन्नता बरसात के अन्त की घटा के समान होती है।

16 बुद्धि की प्राप्ति चोखे सोने से क्या ही उत्तम है! और समझ की प्राप्ति चान्दी से अति योग्य है।

17 बुराई से हटना सीधे लोगों के लिये राजमार्ग है, जो अपने चाल चलन की चौकसी करता, वह अपने प्राण की भी रक्षा करता है।

18 विनाश से पहिले गर्व, और ठोकर खाने से पहिले घमण्ड होता है।

19 घमण्डियों के संग लूट बांट लेने से, दीन लोगों के संग नम्र भाव से रहना उत्तम है।

20 जो वचन पर मन लगाता, वह कल्याण पाता है, और जो यहोवा पर भरोसा रखता, वह धन्य होता है।

21 जिसके हृदय में बुद्धि है, वह समझ वाला कहलाता है, और मधुर वाणी के द्वारा ज्ञान बढ़ता है।

22 जिसके बुद्धि है, उसके लिये वह जीवन का सोता है, परन्तु मूढ़ों को शिक्षा देना मूढ़ता ही होती है।

23 बुद्धिमान का मन उसके मुंह पर भी बुद्धिमानी प्रगट करता है, और उसके वचन में विद्या रहती है।

24 मन भावने वचन मधु भरे छते की नाईं प्राणों को मीठे लगते, और हड्डियों को हरी-भरी करते हैं।

25 ऐसा भी मार्ग है, जो मनुष्य को सीधा देख पड़ता है, परन्तु उसके अन्त में मृत्यु ही मिलती है।

26 परिश्र्मी की लालसा उसके लिये परिश्रम करती है, उसकी भूख तो उस को उभारती रहती है।

27 अधर्मी मनुष्य बुराई की युक्ति निकालता है, और उसके वचनों से आग लग जाती है।28 टेढ़ा मनुष्य बहुत झगड़े को उठाता है, और कानाफूसी करने वाला परम मित्रों में भी फूट करा देता है।

29 उपद्रवी मनुष्य अपने पड़ोसी को फुसला कर कुमार्ग पर चलाता है।30 आंख मूंदने वाला छल की कल्पनाएं करता है, और ओंठ दबाने वाला बुराई करता है।

31 पक्के बाल शोभायमान मुकुट ठहरते हैं; वे धर्म के मार्ग पर चलने से प्राप्त होते हैं।

32 विलम्ब से क्रोध करना वीरता से, और अपने मन को वश में रखना, नगर के जीत लेने से उत्तम है।

33 चिट्ठी डाली जाती तो है, परन्तु उसका निकलना यहोवा ही की ओर से होता है।

 
adsfree-icon
Ads FreeProfile