the Week of Proper 28 / Ordinary 33
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पवित्र बाइबिल
गिनती 4
1 फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,2 लेवियों में से कहातियों की, उनके कुलों और पितरों के घरानों के अनुसार, गिनती करो,3 अर्थात तीस वर्ष से ले कर पचास वर्ष तक की अवस्था वालों की सेना में, जितने मिलापवाले तम्बू में कामकाज करने को भरती हैं।4 और मिलापवाले तम्बू में परमपवित्र वस्तुओं के विषय कहातियों का यह काम होगा,5 अर्थात जब जब छावनी का कूच हो तब तब हारून और उसके पुत्र भीतर आकर, बीच वाले पर्दे को उतार के उससे साक्षीपत्र के सन्दूक को ढ़ांप दें;6 तब वे उस पर सूइसों की खालों का ओहार डालें, और उसके ऊपर सम्पूर्ण नीले रंग का कपड़ा डालें, और सन्दूक में डण्डों को लगाएं।7 फिर भेंटवाली रोटी की मेज़ पर नीला कपड़ा बिछाकर उस पर परातों, धूपदानों, करवों, और उंडेलने के कटोरों को रखें; और नित्य की रोटी भी उस पर हो;8 तब वे उन पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उसको सुइसों की खालों के ओहार से ढ़ापे, और मेज़ के डण्डों को लगा दें।9 फिर वे नीले रंग का कपड़ा ले कर दीपकों, गलतराशों, और गुलदानों समेत उजियाला देने वाले दीवट को, और उसके सब तेल के पात्रों को जिन से उसकी सेवा टहल होती है ढांपे;10 तब वे सारे सामान समेत दीवट को सूइसों की खालों के ओहार के भीतर रखकर डण्डे पर धर दें।11 फिर वे सोने की वेदी पर एक नीला कपड़ा बिछाकर उसको सूइसों की खालों के ओहार से ढ़ांपें, और उसके डण्डों को लगा दें।12 तब वे सेवा टहल के सारे सामान को ले कर, जिस से पवित्रस्थान में सेवा टहल होती है, नीले कपड़े के भीतर रखकर सूइसों की खालों के ओहार से ढांपे, और डण्डे पर धर दें।13 फिर वे वेदी पर से सब राख उठा कर वेदी पर बैंजनी रंग का कपड़ा बिछाएं;14 तब जिस सामान से वेदी पर की सेवा टहल होती है वह सब, अर्थात उसके करछे, कांटे, फावडिय़ां, और कटोरे आदि, वेदी का सारा सामान उस पर रखें; और उसके ऊपर सूइसों की खालों का ओहार बिछाकर वेदी में डण्डों को लगाएं।15 और जब हारून और उसके पुत्र छावनी के कूच के समय पवित्रस्थान और उसके सारे सामान को ढ़ांप चुकें, तब उसके बाद कहाती उसके उठाने के लिये आएं, पर किसी पवित्र वस्तु को न छुएं, कहीं ऐसा न हो कि मर जाएं। कहातियों के उठाने के लिये मिलापवाले तम्बू की ये ही वस्तुएं हैं।16 और जो वस्तुएं हारून याजक के पुत्र एलीजार को रक्षा के लिये सौंपी जाएं वे ये हैं, अर्थात उजियाला देने के लिये तेल, और सुगन्धित धूप, और नित्य अन्नबलि, और अभिषेक का तेल, और सारे निवास, और उस में की सब वस्तुएं, और पवित्रस्थान और उसके कुल समान॥17 फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,18 कहातियों के कुलों के गोत्रियों को लेवियों में से नाश न होने देना;19 उसके साथ ऐसा करो, कि जब वे परमपवित्र वस्तुओं के समीप आएं तब न मरें परन्तु जीवित रहें; अर्थात हारून और उसके पुत्र भीतर आकर एक एक के लिये उसकी सेवकाई और उसका भार ठहरा दें,20 और वे पवित्र वस्तुओं के देखने को झण भर के लिये भी भीतर आने न पाएं, कहीं ऐसा न हो कि मर जाएं॥
21 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,22 गेर्शोनियों की भी गिनती उनके पितरों के घरानों और कुलों के अनुसार कर;23 तीस वर्ष से ले कर पचास वर्ष तक की अवस्था वाले, जितने मिलापवाले तम्बू में सेवा करने को सेना में भरती हों उन सभों को गिन ले।24 सेवा करने और भार उठाने में गेर्शोनियों के कुल वालों की यह सेवकाई हो;25 अर्थात वे निवास के पटों, और मिलापवाले तम्बू और उसके ओहार, और इसके ऊपर वाले सूइसों की खालों के ओहार, और मिलापवाले तम्बू के द्वार के पर्दे,26 और निवास, और वेदी की चारों ओर के आंगन के पर्दों, और आंगन के द्वार के पर्दे, और उनकी डोरियों, और उन में बरतने के सारे सामान, इन सभों को वे उठाया करें; और इन वस्तुओं से जितना काम होता है वह सब भी उनकी सेवकाई में आए।27 और गेर्शोनियों के वंश की सारी सेवकाई हारून और उसके पुत्रों के कहने से हुआ करे, अर्थात जो कुछ उन को उठाना, और जो जो सेवकाई उन को करनी हो, उनका सारा भार तुम ही उन्हें सौपा करो।28 मिलापवाले तम्बू में गेर्शोनियों के कुलों की यही सेवकाई ठहरे; और उन पर हारून याजक का पुत्र ईतामार अधिकार रखे॥29 फिर मरारियों को भी तू उनके कुलों और पितरों के घरानों के अनुसार गिन लें;30 तीस वर्ष से ले कर पचास वर्ष तक की अवस्था वाले, जितने मिलापवाले तम्बू की सेवा करने को सेना में भरती हों, उन सभों को गिन ले।31 और मिलापवाले तम्बू में की जिन वस्तुओं के उठाने की सेवकाई उन को मिले वे ये हों, अर्थात निवास के तख्ते, बेड़े, खम्भे, और कुसिर्यां,32 और चारों ओर आंगन के खम्भे, और इनकी कुसिर्यां, खूंटे, डोरियां, और भांति भांति के बरतने का सारा सामान; और जो जो सामान ढ़ोने के लिये उन को सौपा जाए उस में से एक एक वस्तु का नाम ले कर तुम गिन दो।33 मरारियों के कुलों की सारी सेवकाई जो उन्हें मिलापवाले तम्बू के विषय करनी होगी वह यही है; वह हारून याजक के पुत्र ईतामार के अधिकार में रहे॥
34 तब मूसा और हारून और मण्डली के प्रधानों ने कहातियों के वंश को, उनके कुलों और पितरों के घरानों के अनुसार,35 तीस वर्ष से ले कर पचास वर्ष की अवस्था के, जितने मिलापवाले तम्बू की सेवकाई करने को सेना में भरती हुए थे, उन सभों को गिन लिया;36 और जो अपने अपने कुल के अनुसार गिने गए वे दो हजार साढ़े सात सौ थे।37 कहातियों के कुलों में से जितने मिलापवाले तम्बू में सेवा करने वाले गिने गए वे इतने ही थे; जो आज्ञा यहोवा ने मूसा के द्वारा दी थी उसी के अनुसार मूसा और हारून ने इन को गिन लिया॥38 और गेर्शोनियों में से जो अपने कुलों और पितरों के घरानों के अनुसार गिने गए,39 अर्थात तीस वर्ष से ले कर पचास वर्ष तक की अवस्था के, जो मिलापवाले तम्बू की सेवकाई करने को सेना में भरती हुए थे,40 उनकी गिनती उनके कुलों और पितरों के घरानों के अनुसार दो हजार छ: सौ तीस थी।41 गेर्शोनियों के कुलों में से जितने मिलापवाले तम्बू में सेवा करने वाले गिने गए वे इतने ही थे; यहोवा की आज्ञा के अनुसार मूसा और हारून ने इन को गिन लिया॥42 फिर मरारियों के कुलों में से जो अपने कुलों और पितरों के घरानों के अनुसार गिने गए,43 अर्थात तीस वर्ष से ले कर पचास वर्ष तक की अवस्था के, जो मिलापवाले तम्बू की सेवकाई करने को सेना में भरती हुए थे,44 उनकी गिनती उनके कुलों के अनुसार तीन हजार दो सौ थी।45 मरारियों के कुलों में से जिन को मूसा और हारून ने, यहोवा की उस आज्ञा के अनुसार जो मूसा के द्वारा मिली थी, गिन लिया वे इतने ही थे॥46 लेवियों में से जिन को मूसा और हारून और इस्त्राएली प्रधानों ने उनके कुलों और पितरों के घरानों के अनुसार गिन लिया,47 अर्थात तीस वर्ष से ले कर पचास वर्ष तक की अवस्था वाले, जितने मिलापवाले तम्बू की सेवकाई करने का बोझ उठाने का काम करने को हाजिर होने वाले थे,48 उन सभों की गिनती आठ हजार पांच सौ अस्सी थी।49 ये अपनी अपनी सेवा और बोझ ढ़ोने के अनुसार यहोवा के कहने पर गए। जो आज्ञा यहोवा ने मूसा को दी थी उसी के अनुसार वे गिने गए॥