Lectionary Calendar
Tuesday, July 29th, 2025
the Week of Proper 12 / Ordinary 17
Attention!
For 10¢ a day you can enjoy StudyLight.org ads
free while helping to build churches and support pastors in Uganda.
Click here to learn more!

Read the Bible

पवित्र बाइबिल

सभोपदेशक 4

1 तब मैं ने वह सब अन्धेर देखा जो संसार में होता है। और क्या देखा, कि अन्धेर सहने वालों के आंसू बह रहे हैं, और उन को कोई शान्ति देने वाला नहीं! अन्धेर करने वालों के हाथ में शक्ति थी, परन्तु उन को कोई शान्ति देने वाला नहीं था।2 इसलिये मैं ने मरे हुओं को जो मर चुके हैं, उन जीवतों से जो अब तक जीवित हैं अधिक सराहा;3 वरन उन दोनों से अधिक सुभागी वह है जो अब तक हुआ ही नहीं, न ये बुरे काम देखे जो संसार में होते हैं॥

4 तब में ने सब परिश्रम के काम और सब सफल कामों को देखा जो लोग अपने पड़ोसी से जलन के कारण करते हैं। यह भी व्यर्थ और मन का कुढ़ना है॥5 मूर्ख छाती पर हाथ रखे रहता और अपना मांस खाता है।6 चैन के साथ एक मुट्ठी उन दो मुट्ठियों से अच्छा है, जिनके साथ परिश्रम और मन का कुढ़ना हो॥

7 फिर मैं ने धरती पर यह भी व्यर्थ बात देखी।8 कोई अकेला रहता और उसका कोई नहीं है; न उसके बेटा है, न भाई है, तौभी उसके परिश्रम का अन्त नहीं होता; न उसकी आंखें धन से सन्तुष्ट होती हैं, और न वह कहता है, मैं किस के लिये परिश्रम करता और अपने जीवन को सुखरहित रखता हूं? यह भी व्यर्थ और निरा दु:खभरा काम है।9 एक से दो अच्छे हैं, क्योंकि उनके परिश्रम का अच्छा फल मिलता है।10 क्योंकि यदि उन में से एक गिरे, तो दूसरा उसको उठाएगा; परन्तु हाय उस पर जो अकेला हो कर गिरे और उसका कोई उठाने वाला न हो।11 फिर यदि दो जन एक संग सोए तो वे गर्म रहेंगे, परन्तु कोई अकेला क्योंकर गर्म हो सकता है?12 यदि कोई अकेले पर प्रबल हो तो हो, परन्तु दो उसका साम्हना कर सकेंगे। जो डोरी तीन तागे से बटी हो वह जल्दी नहीं टूटती॥

13 बुद्धिमान लड़का दरिद्र होन पर भी ऐसे बूढ़े और मूर्ख राजा से अधिक उत्तम है जो फिर सम्मति ग्रहण न करे,14 चाहे वह उसके राज्य में धनहींन उत्पन्न हुआ या बन्दीगृह से निकलकर राजा हुआ हो।15 मैं ने सब जीवतों को जो धरती पर चलते फिरते हैं देखा कि वे उस दूसरे लड़के के संग हो लिये हैं जो उनका स्थान लेने के लिये खड़ा हुआ।16 वे सब लोग अनगिनित थे जिन पर वह प्रधान हुआ था। तौभी भविष्य में होने वाले लोग उसके कारण आनन्दित न होंगे। नि:सन्देह यह भी व्यर्थ और मन का कुढ़ना है॥

 
adsfree-icon
Ads FreeProfile