Lectionary Calendar
Saturday, November 23rd, 2024
the Week of Proper 28 / Ordinary 33
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पवित्र बाइबिल

सभोपदेशक 11

1 अपनी रोटी जल के ऊपर डाल दे, क्योंकि बहुत दिन के बाद तू उसे फिर पाएगा।2 सात वरन आठ जनों को भी भाग दे, क्योंकि तू नहीं जानता कि पृथ्वी पर क्या विपत्ति आ पकेगी।3 यदि बादल जल भरे हैं, तब उसको भूमि पर उण्डेल देते हैं; और वृक्ष चाहे दक्खिन की ओर गिरे या उत्तर की ओर, तौभी जिस स्थान पर वृक्ष गिरेगा, वहीं पड़ा रहेगा।4 जो वायु को ताकता रहेगा वह बीज बोने न पाएगा; और जो बादलों को देखता रहेगा वह लवने न पाएगा।5 जैसे तू वायु के चलने का मार्ग नहीं जानता और किस रीति से गर्भवती के पेट में हड्डियां बढ़ती हैं, वैसे ही तू परमेश्वर का काम नहीं जानता जो सब कुछ करता है॥6 भोर को अपना बीज बो, और सांझ को भी अपना हाथ न रोक; क्योंकि तू नहीं जानता कि कौन सफल होगा, यह वा वह वा दोनों के दोनों अच्छे निकलेंगे।

7 उजियाला मनभावना होता है, और धूप के देखने से आंखों को सुख होता है।8 यदि मनुष्य बहुत वर्ष जीवित रहे, तो उन सभों में आनन्दित रहे; परन्तु यह स्मरण रखे कि अन्धियारे से दिन भी बहुत होंगे। जो कुछ होता है वह व्यर्थ है॥9 हे जवान, अपनी जवानी में आनन्द कर, और अपनी जवानी के दिनों के मगन रह; अपनी मनमानी कर और अपनी आंखों की दृष्टि के अनुसार चल। परन्तु यह जान रख कि इन सब बातों के विषय में परमेश्वर तेरा न्याय करेगा॥10 अपने मन से खेद और अपनी देह से दु:ख दूर कर, क्योंकि लड़कपन और जवानी दोनों व्यर्थ हैं।

 
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